Kavita Jha

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नैन ( दोहावली) #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -23-Apr-2022

नैन ( दोहावली)

कभी लाज से हैं झुके, प्रिय के ये दो नैन।
प्रेम छुपा पाते नहीं,लूटे हिय का चैन।।

नैनों से बातें करें, दिल का खोले राज।
देख सके कोई नहीं, इनको खुद पर नाज।।

कजरारे दो नैन जो, एकटक देखे राह।
आएंगे कब साजना, बढ़े मिलन की चाह।।

आंसू आए जो कभी, देना साजन साथ।
 नैन देख न अगर सके , थामें रहना हाथ।।
***
कविता झा 'काव्या कवि '
#लेखनी
##लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता (मुक्त विषय)
23.04.2022

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10 Comments

Zainab Irfan

25-Apr-2022 03:20 PM

बहुत ही सुन्दर

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Punam verma

24-Apr-2022 07:38 AM

Nice

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Shnaya

23-Apr-2022 09:38 PM

Very nice 👍🏼

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